NOT KNOWN FACTS ABOUT HINDI STORY

Not known Facts About hindi story

Not known Facts About hindi story

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गांव के लोग भी बिना डरे उस वृक्ष के नीचे जाने लगे।

सिद्धेश्वरी ने खाना बनाने के बाद चूल्हे को बुझा दिया और दोनों घुटनों के बीच सिर रखकर शायद पैर की उँगलियाँ या ज़मीन पर चलते चीटें-चींटियों को देखने लगी। अचानक उसे मालूम हुआ कि बहुत देर से उसे प्यास लगी हैं। वह मतवाले की तरह उठी और गगरे से लोटा-भर पानी अमरकांत

साधु की पुत्री - हितोपदेश की प्रेरक कहानियां



माँ को अपने बेटे, साहूकार को अपने देनदार और किसान को अपने लहलहाते खेत देखकर जो आनंद आता है, वही आनंद बाबा भारती को अपना घोड़ा देखकर आता था। भगवत-भजन से जो समय बचता, वह घोड़े को अर्पण हो जाता। वह घोड़ा बड़ा सुंदर था, बड़ा बलवान। उसके जोड़ का घोड़ा सारे सुदर्शन

एक दिन रूपा बगीचे में खेल रही थी। तभी उसके पास एक तितली आ कर बैठी। इसके पंखों में हीरे जड़े हुए थे। तभी तितली उड़ चली और रूपा उसका पीछा करते करते जंगल में निकल गयी। कुछ देर बाद रूपा को एहसास हुआ की वह भटक गयी है। तभी तेज़ तूफ़ान शुरू हो गया और रूपा रोने लगी। अचानक से रूपा के पीछे लगे पीपल के पेड़ की डाली आगे आयी और उसने रूपा उठा कर कहा की उसके रहते रूपा को डरने की कोई ज़रुरत नहीं है। जब तक तूफ़ान थम नहीं गया, पीपल के पेड़ ने रूपा को अपने अंदर छिपाये रखा। तब तक रूपा को ढूंढते हुए सैनिक आ गए और उसे अपने साथ महल वापस ले गए।

यह बच्चों के लिए एक गुजराती लोक कथा है।

मुकेश जब भी स्कूल जाता उसे रास्ते में कूड़ेदान से होकर गुजरना पड़ता था।

टेलीग्राम: इंटरनेट की वो 'स्याह दुनिया' जो अपराधियों के लिए जन्नत बन गई है

(मेरी मान्यता है कि मंटो को उर्दू-हिंदी के भाषाई विभाजन का विषय न बनाया जाए. वे दोनों ही भाषाओं के महान कथाकार हैं. उनकी सहज-सरल भाषा को किसी ऐसी श्रेणी में बांटा भी नहीं जा सकता. जो भी अंतर है वह सिर्फ़ लिपि की भिन्नता के कारण है.

(एक) बड़े-बड़े शहरों के इक्के-गाड़ी वालों की ज़बान के कोड़ों से जिनकी पीठ छिल गई है, और कान पक गए हैं, उनसे हमारी प्रार्थना है कि अमृतसर के बंबूकार्ट वालों की बोली का मरहम लगावें। जब बड़े-बड़े शहरों की चौड़ी सड़कों पर घोड़े की पीठ चाबुक से धुनते हुए, इक्के वाले चंद्रधर शर्मा गुलेरी

गांव के लोगों में उसका डर था। गांव में रामकृष्ण परमहंस आए हुए थे।

बुरे काम का बुरा ही नतीजा check here होता है बुरे कामों से बचना चाहिए।

अँधियारे गलियारे में चलते हुए लतिका ठिठक गई। दीवार का सहारा लेकर उसने लैंप की बत्ती बढ़ा दी। सीढ़ियों पर उसकी छाया एक बेडौल फटी-फटी आकृति खींचने लगी। सात नंबर कमरे से लड़कियों की बातचीत और हँसी-ठहाकों का स्वर अभी तक आ रहा था। लतिका ने दरवाज़ा खटखटाया। निर्मल वर्मा

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